अनूप सेठी की कविताओं में महानगरीय जीवन का चित्रण
Author(s): डॉ. संतोष गायकवाड़
Authors Affiliations:
उपप्रचार्य एवं सहयोगी प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, सोनुभाऊ बसवंत महाविद्यालय,
शहापुर, मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई
DOIs:10.2018/SS/202510011     |     Paper ID: SS202510011शोध सारांश: अनूप सेठी की कविता आधुनिक मनुष्य की त्रासदी का सटीक चित्रण है। यह न केवल व्यक्तिगत अकेलेपन की बात करती है, बल्कि समग्र रूप से समाज की स्थिति का बोध भी कराती है। कवि ने एक गहन सामाजिक और दार्शनिक सत्य को बहुत ही संक्षिप्त ढंग से उद्घाटित किया है। यह कविता हमें आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती है - क्या हम सचमुच ‘जी’ रहे हैं या केवल ‘जीवित’ हैं? यही प्रश्न कविता का केंद्रीय बिंदु है, जो इसे कालजयी बनाता है। आधुनिक महानगरीय जीवन ने मनुष्य को भीड़ में भी अकेला जीने को विवश कर दिया है। मुंबई की भीड़-भाड़ में रहना किसी चुनौती से कम नहीं है। कोई भी इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि सुबह घर से निकला व्यक्ति शाम को सुरक्षित घर लौट आएगा। मुंबई में यातायात की समस्या केवल एक प्रशासनिक चुनौती नहीं, बल्कि एक सामाजिक वास्तविकता है। यह शहर जितना गतिशील है, उतनी ही बाधाओं से भी भरा है। बढ़ती सुविधाओं के बावजूद, जनसंख्या, विकास और यातायात के बीच संतुलन न बन पाने के कारण यह समस्या बनी हुई है।
डॉ. संतोष गायकवाड़ (2025); अनूप सेठी की कविताओं में महानगरीय जीवन का चित्रण, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 10, Pp. 66-69. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
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