31, July 2025

आधुनिक जीवन में वेदों और उपनिषदों की प्रासंगिकता का अध्ययन

Author(s): डॉ.मुनेन्द्र सिंह

Authors Affiliations:

असिस्टेंट प्रोफेसर, इतिहास एवं एशियन कल्चर विभाग,  शिया पी0जी0 कॉलेज, लखनऊ

DOIs:10.2018/SS/202507022     |     Paper ID: SS202507022


Abstract
Keywords
Cite this Article/Paper as
References
सारांश : वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, जहाँ मानवता एक ओर तकनीकी उन्नति के चरम पर पहुँच रही है, वहीं दूसरी ओर वह गहरे नैतिक संकट, मानसिक अवसाद और पर्यावरणीय असंतुलन जैसी गंभीर चुनौतियों का भी सामना कर रही है। ऐसे समय में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा, विशेष रूप से वेदों और उपनिषदों में निहित जीवनदृष्टि, न केवल सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, बल्कि एक व्यावहारिक और समयसिद्ध समाधान भी प्रस्तुत करती है। यह शोधपत्र "आधुनिक जीवन में वेदों और उपनिषदों की प्रासंगिकता का अध्ययन" विषय पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य यह प्रतिपादित करना है कि इन प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित सिद्धांत — जैसे ‘ऋत’ (सामंजस्यपूर्ण नैतिक व्यवस्था), ‘धर्म’ (कर्तव्यपरायणता), ‘आत्मा-ब्रह्म की एकता’, तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ — आज के वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और मानसिक स्वास्थ्य के विमर्शों से भी गहराई से जुड़े हैं। यह शोधपत्र इस बात की विवेचना करता है कि वेदों और उपनिषदों में वर्णित दर्शन केवल आध्यात्मिक साधना के साधन नहीं हैं, बल्कि ये मानव अस्तित्व के समग्र विकास, संतुलन तथा सामाजिक-वैज्ञानिक समरसता की ओर भी संकेत करते हैं। यह न केवल भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करता है, बल्कि आधुनिक विश्व को एक वैकल्पिक जीवन-दृष्टिकोण भी प्रदान करता है — जो स्थायित्व, शांति और समरसता की ओर अग्रसर करता है।  
मुख्य शब्द :  वेद, उपनिषद, आधुनिक जीवन, आत्मा-ब्रह्म, वैदिक दर्शन, भारतीय ज्ञान परंपरा, नैतिकता, पर्यावरण चेतना, मानसिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता, अद्वैत, धर्म, ऋत, वैकल्पिक जीवन दृष्टिकोण,समकालीन प्रासंगिकता।

डॉ.मुनेन्द्र सिंह(2025); आधुनिक जीवन में वेदों और उपनिषदों की प्रासंगिकता का अध्ययन, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences,      ISSN(o): 2581-6241,  Volume – 8,   Issue –  7.,  Pp.131-138.        Available on –   https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/


Download Full Paper

Download PDF No. of Downloads:19 | No. of Views: 40