सारांश : नई शिक्षा नीति 2020 में व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और छात्रों को कौशल विकास प्रदान करने पर जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करना और उन्हें बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुसार ढालना है। आजकल, कौशल-आधारित शिक्षा की अत्यधिक प्रासंगिकता है क्योंकि यह छात्रों को नौकरी के बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाती है। जॉन डेवी का मानना है “शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है; शिक्षा स्वयं जीवन है।” दरअसल शिक्षा हासिल करते हुये मनुष्य अवगुणों को त्याग रहा होता है व सद्गुणों को आमंत्रित कर रहा होता है। इस प्रक्रिया में खामियाँ दूर हो रही होती हैं और मनुष्य खूबियों से लद रहा होता है। जीवन के असल आनंद की अनुभूति शिक्षा से ही हो रही होती है बशर्ते शिक्षा के उद्देश्यों में तथ्यों का नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों का समावेश हो। किताब, कागज़, स्याही, चॉक, ब्लैकबोर्ड और शिक्षक से आगे निकलकर शिक्षा कंप्यूटर व प्रोजेक्टर यानी ऑनलाइन अथवा डिजिटल माध्यम में प्रवेश कर चुकी है। भारत का पहला एआई शिक्षक रोबोट ‘आइरिस’ केरल के विद्यालय में लांच हो चुका है। यह दौर शिक्षा के लिए संभावनाओं व चुनौतियों का दौर है। यदि विद्यार्थी और शिक्षक इस दौर में संभलते हुये क़दम न बढ़ाएंगे तो शिक्षा के असल उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पायेगा। इसलिए इस दौर में शिक्षक की भूमिका पहले से ज्यादा संवेदनशील हो जाती है, और विद्यार्थियों के कर्तव्य बढ़ जाते हैं। “बुद्धिमत्ता और चरित्र का सही विकास सच्ची शिक्षा का मूल लक्ष्य है।”
मुख्य शब्द : पाठयक्रम, प्रौद्योगिकी, शिक्षण विधि, व्यावसायिक शिक्षा |
डॉ. दिनेश कुमार मौर्य (2025); राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यावसायिक शिक्षा और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 6., Pp.73-78. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/