वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों के लिए निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता
Author(s): देश दीपक
Authors Affiliations:
शिक्षा विभाग, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर, 208024
DOIs:10.2018/SS/202505016     |     Paper ID: SS202505016शिक्षा मानव विकास की एक गतिशील प्रक्रिया है। जिसमें निर्देशन एवं परामर्श भी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य को स्वयं का सर्वांगीण विकास करने में अपनी बुद्धि व विवेक के साथ-साथ अन्य दूसरों की भी सहायता लेनी पड़ती है। अर्थात् दूसरे व्यक्ति के अनुभव, बुद्धि व विवेक की सहायता लेता है तो इस प्रकार की सहायता निर्देशन एवं परामर्श कहलाती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निर्देशन एवं परामर्श की विद्यार्थियों के लिए महती आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान समय में विद्यार्थी सोशल मीडिया के भंवर जाल में निरन्तर फँसता जा रहा है तथा साथ ही बढ़ती बेरोजगारी के कारण विद्यार्थी शैक्षिक, व्यावसायिक, सांवेगिक, मानसिक तथा आजीविका हेतु द्वन्द की अवस्था में रहता है। इस प्रकार की अवस्थाओं और अवसरों पर विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान करने हेतु विद्यार्थियों को निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता होती है तथा विद्यार्थी को इस योग्य भी बनाना है कि वह अपनी समस्याओं का समाधान करने में स्वयं सक्षम हो। इस प्रकार से विद्यार्थी उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर तथा स्वयं को समस्या समाधान हेतु योग्य होकर अपने आप को द्वन्द की अवस्था से बाहर निकालकर अपने आप को समायोजित करता है। जिससे वह अपनी रुचि, योग्यता एवं अभियोग्यता के अनुरूप कार्य कर सकेगा।
देश दीपक (2025); वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों के लिए निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 5., Pp.89-92. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
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