वैदिक गणित के व्यावहारिक अनुप्रयोग: घन के विशेष संदर्भ में
Author(s): 1 डॉ. राजीव अग्रवाल, 2 निहारिका
Authors Affiliations:
1एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षक-शिक्षा विभाग, अतर्रा पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, अतर्रा, बांदा (उ०प्र०), 210201
2शोध छात्रा, शिक्षक-शिक्षा विभाग, पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, अतर्रा, बांदा (उ०प्र०), 210201
DOIs:10.2018/SS/202504014     |     Paper ID: SS202504014शोध सार : वैदिक गणित केवल गणित ही नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है। इसे संजोकर रखना हम भारतीयों का पावन कर्तव्य बनता है। इस रचना का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारत की बौद्धिक संपदा को प्रकाश में लाना है। वैदिक गणित विश्व की सबसे तेज गणितीय प्रक्रिया है। यह सामान्य गणित की तुलना में 10 से 50 गुना तेज है। वैदिक गणित में गणना के अनोखे तरीके हैं, जो सरल सूत्रों पर आधारित हैं। अतः इसका उद्देश्य यही है, कि समय की बचत कर गणनाएं की जा सके। स्कूली स्तर पर वैदिक गणित को पढ़ाया जाना अति आवश्यक है। वैदिक गणित अनिवार्य रूप से स्कूली स्तर पर शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यही है, कि प्रत्येक बालक के मस्तिष्क का विकास हो तथा वैदिक गणित के उपयोग के माध्यम से वह अपनी क्रियात्मकता को उजागर कर सके। वैदिक गणित सभी के लिए महत्वपूर्ण और सीखने योग्य है। वैदिक गणित का प्रयोग गणित की सभी शाखाओं में सफलतापूर्वक किया जा सकता है। प्रस्तुत शोध पत्र में वैदिक गणित द्वारा घन के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है।
डॉ. राजीव अग्रवाल, निहारिका(2025); वैदिक गणित के व्यावहारिक अनुप्रयोग: घन के विशेष संदर्भ में, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 4., Pp.83-93. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
- ठाकुर, राजेश कुमार (2017) वैदिक गणित, नई दिल्ली: प्रभात पेपर बैक्स
- तीर्थ, भारती कृष्ण (2018) वैदिक गणित, नई दिल्ली: मोतीलाल बनारसीदास
- शंकराचार्य, जगद्गुरु (2017) वैदिक गणित, कुरुक्षेत्र: विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान
- विश्वकर्मा, कैलाश (2011) वैदिक गणित विहंगम दृष्टि- 1, नई दिल्ली: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास।
WEB:
- अंकगणित/ Wikipedia / https://shorturl.at/kHRQl
- गणित/ Wikipedia / https://shorturl.at/VxynF
![SHIKSHAN SANSHODHAN [ ISSN(O): 2581-6241 ] Peer-Reviewed, Referred, Indexed Research Journal.](https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/wp-content/uploads/SS-TITLE-HEADER.png)