31, March 2025

भारत के सांस्कृतिक इतिहास की यात्रा (दिनकर साहित्य के विशेष सन्दर्भ में)

Author(s): चिराग राजा

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शोधार्थी, हिन्दी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद, तेलंगाना

DOIs:10.2018/SS/202503006     |     Paper ID: SS202503006


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भारत की संस्कृति का बोध विचार तथा ज्ञान के क्षेत्र का प्रमुख विषय है। हिंदी जगत में अपने मौलिक रचना कर्म से इस विषय पर विशद अध्ययन करने वालों में दिनकर अग्रणी हैं। ‘संस्कृति के चार अध्याय’ तथा अपनी विविध कविताओं में दिनकर ने भारतीय सांस्कृतिक इतिहास की तमाम उतार-चढ़ावों भरी यात्रा का सफल अंकन किया है। भारतीय संस्कृति मूलतः सामासिक स्वभाव से रचित है, जिसमें समावेशिता तथा समन्वय के गुण सहज लभ्य हैं। इस्लाम एवं यूरोप के सामयिक आगमन से इस संस्कृति पर पड़े प्रभावों का रेखांकन दिनकर ने अपनी रचनाओं में किया है। सांस्कृतिक विकासक्रम में आलोक में आधुनिकीकरण के इस युग में अतीत का गौरवबोध, वर्तमान की चिंताओं पर विचार तथा भविष्य के प्रति सजगता से ही हमारा पथ प्रशस्त होगा।

संस्कृति, भारत, राष्ट्र, दिनकर, युग, सामासिकता, समन्वय, सनातन, भारतीय आदि।

चिराग राजा(2025); भारत के सांस्कृतिक इतिहास की यात्रा (दिनकर साहित्य के विशेष सन्दर्भ में), Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences,      ISSN(o): 2581-6241,  Volume – 8,   Issue –  3.,  Pp.30-33.        Available on –   https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/

[1] दिनकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, संस्कृति के चार अध्याय (प्रस्तावना) 1956, उदयाचल प्रकाशन, पटना, पृ. सं.  16

[1] दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, 1956, उदयाचल प्रकाशन, पटना, पृ. सं. 5

[1] दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, 1956, उदयाचल प्रकाशन, पटना, पृ. सं. 98

[1] दिनकर, प्रणभंग तथा अन्य कविताएँ, दिनकर ग्रंथमाला, 2020, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज, पृ. सं. 6

[1] दिनकर, चक्रवाल, उदयाचल प्रकाशन, 1956, पटना, पृ. सं. 52

[1] दिनकर, रेणुका, उदयाचल प्रकाशन, 1956, पटना, पृ. सं. 29


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