भविष्यवादी शिक्षा का अर्थ , आयाम एवं वर्तमान शिक्षा परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता
Author(s): श्री नारायण सिंह , डॉ0 विशाल गुप्ता
Authors Affiliations:
श्री नारायण सिंह
शोध छात्र ( शिक्षाशास्त्र )
एकलव्य विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड
लाइब्रेरी साइंस, दमोह, मध्य प्रदेश , 470661
डॉ0 विशाल गुप्ता
पूर्व शोध छात्र ( शिक्षाशास्त्र बी.एच.यू ) एवं
अतिथि प्रवक्ता ,शिक्षाशास्त्र विभाग
एम0 एल0 के0 पी0 जी0कॉलेज
बलरामपुर ,उत्तर प्रदेश, 271201
DOIs:10.2018/SS/202503001     |     Paper ID: SS202503001आधुनिक कार्यबल की तेजी से विकसित होने वाली मांगें यह सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करती हैं कि स्नातक स्तर की शिक्षा उभरती प्रवृत्तियों और उद्योग की आवश्यकताओं के लिए प्रासंगिक और उत्तरदायी बनी रहे। वर्तमान पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता और शिक्षा में प्रौद्योगिकी के एकीकरण की जांच करके, अध्ययन मौजूदा शैक्षणिक दृष्टिकोण की प्रभावकारिता का आकलन करने और छात्रों को एक गतिशील पेशेवर परिदृश्य में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और दक्षताओं से बेहतर ढंग से लैस करने के लिए क्षेत्रों की पहचान करने का प्रयास करना इस शोध पत्र का मूल उद्देश्य है।
अगले दस सालों में शिक्षा किस तरह विकसित होगी? कौन सी तकनीकी प्रगति और सामाजिक परिवर्तन हमारी शिक्षा और शिक्षण विधियों को आकार देंगे? जैसे-जैसे हम एक नए दशक में प्रवेश कर रहे हैं, शिक्षा के भविष्य (भविष्यवादी)को परिभाषित करने वाले उभरते रुझानों और भविष्यवाणियों की खोज करना महत्वपूर्ण है। इस शोध पत्र में हम आने वाले वर्षों में शिक्षा को प्रभावित करने वाले प्रमुख रुझानों, संभावित चुनौतियों, अवसरों और बहसों पर विचार करेंगे।श्री नारायण सिंह , डॉ0 विशाल गुप्ता(2025); भविष्यवादी शिक्षा का अर्थ , आयाम एवं वर्तमान शिक्षा परिदृश्य में भविष्यवादी शिक्षा की प्रासंगिकता, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 3., Pp.1-7. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
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