बाल विवाह के संबंध मे बापू के विचार एवं वर्तमान का विश्लेषण (सरगुजा संभाग के संदर्भ में)
Author(s): बिकलेस कुमार गुप्ता
Authors Affiliations:
सहायक प्राध्यापक , राजनीति विज्ञान
शासकीय नवीन महाविद्यालय कमलेश्वरपुर मैनपाट जिला सरगुजा छत्तीसगढ़
DOIs:10.2018/SS/202505019     |     Paper ID: SS202505019सारांश : वर्तमान के इस दौर में स्त्री,पुरुष,बालक,बालिकाएं सभी आगे निकलने की होड़ मे लगे हुए हैं। कोई पीछे नहीं रहना चाहता, और अपनी मंजिल को पाने के लिए अग्रसर हैं। फिर भी कई ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां पर विकास की संभावनाएं सफल नहीं होती, प्रशासन और सरकार की गतिविधियां उस क्षेत्र विशेष में पहुंच नहीं पाती जिसके कारण से ऐसे कई घटनाएं घटित हो जाती हैं।जो हमें इस युग में सोचने को विवश कर देती है।कि हम वही डिजिटल युग में है, कि वही पुरानी सडी,गली मानसिकता वाले युग में जहां माता, बहने, युवा लड़के, लड़कियां, सभी घिसी पिटी मानसिकता के प्रभाव में आकर अपने जीवन को बर्बाद कर बैठती है और यह दूषित समाज का अनुचित प्रथा भी उन्हें ऐसा करने के लिए विवश कर देती है। जिसमें से एक यह सामाजिक कुप्रथा “बाल विवाह ”है जिसमें लड़की का उम्र 18 वर्ष और लड़के का उम्र 21 वर्ष से कम हो और इसी बीच उनका विवाह हो जाना बाल विवाह है अर्थात कम उम्र में ही बालिका हो या बालक का विवाह कर दिया जाना ही, हम इसे दुष्ट परंपरा कहेंगे क्योंकि एक बालक और बालिका को अपने बारे में और समाज के बारे में पूर्ण ज्ञान नहीं है। विवाह की क्या जीमेदारिया है पता नहीं, फिर भी वह इस परंपरा के चपेट में आ जाते हैं और उन्हें इन सामाजिक नियमों का पालन करते हुए बाल विवाह को स्वीकार करना पड़ता है व यह प्रथा कोई आज या कल की प्रथा नहीं है। बल्कि कई वर्षों से चली या रही है।आज भी ग्रामीण परिवेश मे सरगुजा संभाग के पिछड़े जातियों मे बाल विवाह देखने को मिल जाता है,व गांधी जी इस बाल विवाह प्रथा के विरुद्ध थे जो इस लेख का विषय है ।
बिकलेस कुमार गुप्ता (2025); बाल विवाह के संबंध मे बापू के विचार एवं वर्तमान का विश्लेषण (सरगुजा संभाग के संदर्भ में), Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 5., Pp.106-108 Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
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