Author(s): 1. ओकेश , 2. अनुज यादव
Authors Affiliations:
1शोधार्थी, समाजशास्त्र विभाग, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय
2शोधार्थी, हिन्दी विभाग, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय
DOIs:10.2018/SS/202507008     |     Paper ID: SS202507008
सारांश : वर्तमान शोध ग्रामीण भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका और उसके प्रभाव का समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करता है। आरएसएस, एक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर आधारित संगठन, वर्षों से गांवों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करता आ रहा है। यह अध्ययन इस बात की पड़ताल करता है कि आरएसएस की विचारधारा, संगठनात्मक गतिविधियाँ और सामाजिक पहलों ने ग्रामीण समाज की पारंपरिक संरचना — जैसे जातीय संबंध, वर्ग व्यवस्था, सामुदायिक सहभागिता और सामाजिक गतिशीलता — को किस प्रकार प्रभावित किया है।शोध में गुणात्मक विधियों का प्रयोग करते हुए विभिन्न ग्रामों में आरएसएस की गतिविधियों का प्रत्यक्ष अवलोकन और साहित्य समीक्षा की गई है। इसके माध्यम से यह समझने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार आरएसएस ग्रामीण भारत में सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक जागरूकता और राजनीतिक चेतना को आकार देता है, साथ ही यह भी कि इसके प्रयास किस हद तक सामाजिक विभाजन को समाप्त करने में सफल हुए हैं। यह शोध ग्रामीण भारत में सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं को समझने हेतु एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जहाँ परंपरा और विचारधारा के बीच टकराव एवं समंजन दोनों ही मौजूद हैं।
बीज शब्द : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), ग्रामीण समाज ,सामाजिक संरचना, सामाजिक परिवर्तन, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ।
ओकेश , अनुज यादव (2025); आरएसएस और ग्रामीण समाज: सामाजिक संरचना में परिवर्तन की समाजशास्त्रीय पड़ताल, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 7., Pp.43-52 Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/