भारतीय ज्ञान परंपरा के विचार और आधुनिक उच्च शिक्षा में उनकी प्रासंगिकता (भूगोल विषय के विशेष संदर्भ में)
Author(s): डॉ. विनय कुमार वर्मा
Authors Affiliations:
सहायक प्राध्यापक भूगोल, शास. महाविद्यालय पथरिया
DOIs:10.2018/SS/202504019     |     Paper ID: SS202504019शोध सारांश : भारत एक अत्यंत प्राचीन सभ्यता और संस्कृति वाला देश है। सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। प्राचीनकाल से ही भारत में ज्ञान व विज्ञान अत्यंत उन्नत रहा है। यहॉं तक कि जब विश्व के अन्य देश बर्बर व आदिम अवस्था में थे तब भी भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर ली थी। भारत में ज्ञान की परंपरा सदियों तक मौखिक व श्रुति के रूप में विद्यमान रही। भारतीय धर्मग्रन्थो एवं प्राचीन साहित्य में उपलब्ध ज्ञान वर्तमान समय में पूर्णयता प्रासंगिक है क्योंकि यह ज्ञान आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के समतुल्य है।ऋग्वेद को संसार की प्राचीनतम पुस्तक कहा जाता है जो अपने आप में वैज्ञानिक ज्ञान का आधार है। ऋग्वेद की रचना सर्वाधिक प्राचीन यूनानी ग्रन्थ इलीयट व ओडेशी से भी पूर्व की गई थी। इसकी रचना किसी एक ऋषी ने अपने जीवनकाल में नहीं की बल्कि अनेक ऋषियों एवं कालों के उद्गार अनुभव एवं चिंतन का दर्शन है।अधिकांश प्राचीन ग्रन्थों में धर्म दर्शन व प्रकृति का भाव पक्ष इतना अधिक समाया है कि अन्य सभी वर्णन उसी पृष्ठ भूमि में दृष्टिगत होते हैं। भूगोल एक ऐसा विषय है जो मूलतः पृथ्वी तल पर पायी जाने वाले तत्वों व मानवीय क्रियाकलापों का अध्ययन करता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों वेद, पुराण, अरण्यक, ब्राम्हण ग्रंथ, महाकाव्यों तथा विभिन्न संहिताओं में भौगोलिक ज्ञान भरा पड़ा है जो आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के समान ही है। भारतीय ग्रंथों में पृथ्वी और ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति, पर्वतों, नदियों, प्रदेश, कृषि, खनिज व धातु, वनस्पतियॉं, उद्योग व तत्कालीन नगरों और अधिवासों का विस्तार से वर्णन मिलता है, जो आधुनिक भूगोल की मुख्य विषय वस्तु है।
डॉ. विनय कुमार वर्मा(2025); भारतीय ज्ञान परंपरा के विचार और आधुनिक उच्च शिक्षा में उनकी प्रासंगिकता (भूगोल विषय के विशेष संदर्भ में), Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 4., Pp.123-130. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
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- विष्णु पुराण
- मत्स्य पुराण अध्याय-121
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- बाल्मीकि रामायण
![SHIKSHAN SANSHODHAN [ ISSN(O): 2581-6241 ] Peer-Reviewed, Referred, Indexed Research Journal.](https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/wp-content/uploads/SS-TITLE-HEADER.png)