सँभल भी न पाओगेः सूरजपाल चौहान की कविताओं का अध्ययन
Author(s): डॉ. सरला देवी
Authors Affiliations:
असिस्टेंट प्रोफेसर (हिंदी), राजकीय महाविद्यालय दूबलधन (झज्जर)
DOIs:10.2018/SS/202504010     |     Paper ID: SS202504010शोध-सारांश सूरजपाल चौहान एक उत्कृष्ट हिंदी कवि हैं, जिनकी कविताएं भावनाओं और समाज की अवस्था को गहराई से छूती हैं। उनका काव्य विविधता और गहराई की दृष्टि से प्रसिद्ध है। उनकी कविताएं विविध विषयों पर आधारित होती हैं, जैसे कि प्रेम, प्रेरणा, सामाजिक मुद्दे, और मानवीय अनुभव। सूरजपाल चौहान के रचनात्मक साहित्य का मुख्य लक्ष्य समाज की समस्याओं का सामाजिक संदेश देना है। उनके काव्य में भावनाओं की सांगीतिक उत्कृष्टता, उम्दा अलंकारिक उपयोग, और विचारशीलता का विशेष महत्व है। उनकी कविताओं में साहस, स्वतंत्रता, और समाज के प्रति जागरूकता के संदेश उपस्थित होते हैं।
डॉ. सरला देवी(2025); सँभल भी न पाओगेः सूरजपाल चौहान की कविताओं का अध्ययन, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 4., Pp.56-62. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
- चौहान; सूरजपाल, ‘सँभल भी न पाओगे’, पृष्ठ-41
- वहीं, पृष्ठ-70-71
- वहीं, पृष्ठ-42
- वहीं, पृष्ठ-54
- वहीं, पृष्ठ-107
- वहीं, पृष्ठ-76
- वहीं, पृष्ठ-81
- वहीं, पृष्ठ-31
- वहीं, पृष्ठ-92
- वहीं, पृष्ठ-58
- वहीं, पृष्ठ-90
- वहीं, पृष्ठ-79
- वहीं, पृष्ठ-30
- वहीं, पृष्ठ-32
- वहीं, पृष्ठ-30
- वहीं, पृष्ठ-54
- वहीं, पृष्ठ-93
![SHIKSHAN SANSHODHAN [ ISSN(O): 2581-6241 ] Peer-Reviewed, Referred, Indexed Research Journal.](https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/wp-content/uploads/SS-TITLE-HEADER.png)