31, July 2025

वित्तीय समावेशन में प्राथमिकता प्राप्त ऋण क्षेत्र की भूमिका : मधेपुरा जिला के संदर्भ में

Author(s): दीपक कुमार राणा , डॉ . मो. शाहिद हुसैन

Authors Affiliations:

1शोधार्थी – दीपक कुमार राणा, विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा,बिहार, भारत

2शोध पर्यवेक्षक – डॉ. मो. शाहिद हुसैन, सह-प्राध्यापक ,एसएनएसआरकेएस महाविद्यालय, सहरसा, बिहार, भारत

DOIs:10.2018/SS/202507016     |     Paper ID: SS202507016


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सारांश: समावेशी विकास के लिए  वित्तीय समावेशन एक सशक्त माध्यम है । वित्तीय समावेशन सभी व्यक्तियों तक सस्ती और सुलभ वित्तीय सेवाएँ जैसे बैंक खाता , ऋण , बीमा ,पेंशन आदि पहुंचाने की प्रक्रिया है  । आरबीआई ने  प्राथमिकता प्राप्त ऋण क्षेत्र नीति  के माध्यम से बैंकों को समाज के कमजोर क्षेत्रों को ऋण उपलब्ध करने का एक प्रयास  किया है, जिससे वित्तीय समावेशन बढ़ता है । इन क्षेत्रों में मुख्यतः कृषि , सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम, शिक्षा  ,आवास नवीकरण ऊर्जा और कमजोर वर्ग आते हैं । आरबीआई के प्रावधानों के अनुसार सभी व्यावसायिक बैंकों को अपने कुल समायोजित निवल बैंक  ऋण का 40 प्रतिशत प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लिए निर्धारित करना है।  ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों और लघु वित्त बैंकों को अपने कुल समायोजित निवल बैंक ऋण तक 75 प्रतिशत तक निर्धारित करना है।  इस नीति ने दशकों से वंचित क्षेत्रों  को बैंकों से ऋण लेना आसान बनाया है । इससे सामाजिक और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है । इस अध्ययन का उद्देश्य मधेपुरा में वित्तीय समावेशन में  प्राथमिकता प्राप्त ऋण क्षेत्र की  भूमिका  का अध्ययन  करना है। यह अध्ययन द्वितीयक स्रोत पर आधारित है । तथ्यों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि मधेपुरा में व्यावसायिक बैंकों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है ।  
 शब्द  संकेत :  वित्तीय समावेशन , प्राथमिकता प्राप्त ऋण क्षेत्र, लक्ष्य, उपलब्धि ।

दीपक कुमार राणा , डॉ . मो. शाहिद हुसैन  (2025); वित्तीय समावेशन में प्राथमिकता प्राप्त ऋण क्षेत्र की भूमिका : मधेपुरा जिला के संदर्भ में,  Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences,      ISSN(o): 2581-6241,  Volume – 8,   Issue –  7.,  Pp. 93-99.       Available on –   https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/


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