20, April 2025

भोजपुरी लोकगाथा ‘लोरिकायन’ के पात्रों का चरित्र विश्लेषण

Author(s): रवि प्रकाश सूरज

Authors Affiliations:

शोधछात्र, स्नातकोत्तर भोजपुरी विभाग
वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, बिहार

DOIs:10.2018/SS/202504008     |     Paper ID: SS202504008


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शोध सार :- भारतीय लोकसाहित्य की समृद्ध परम्पराओं में लोकगाथाओं की परंपरा युगों-युगों से समाज में मौखिक परंपरा के रूप में विद्यमान है। भारतीय लोकगाथाओं में ‘लोरिकायन’ की गाथा पश्चिम के राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल तक विविध रूपों में सुनी-सुनाई जाती रही है। पर मूलतः इस लोकगाथा को भोजपुरी भूमि की लोकगाथा माना गया है।  इस विशालतम महाकवि का नायक वीर लोरिक अहीर जाति का था।  वीर व्यक्तित्व, सामंती व्यवस्था के विरोधी, नारी उद्धारक वीर लोरिक यदुवंशियों के अलावा अन्य पिछड़े समुदायों में वीर लोरिक देव की तरह पूजे जाते रहे हैं। लगभग 42 हजार पंक्तियों में संकलित इस लोकगाथा में वीर लोरिक के अलावा कई अन्य पात्र आए हैं जिनका चरित्र और कृत्य अनुकरणीय तथा जनमानस के लिए प्रेरक है। प्रस्तुत शोधपत्र में भोजपुरी ‘लोरिकायन’ के विविध पात्रों का चरित्र विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है।

     
बीज शब्द : लोरिक, लोरिकायन, लोकगाथा, लोकसाहित्य, भोजपुरी ।

रवि प्रकाश सूरज (2025); भोजपुरी लोकगाथा ‘लोरिकायन’ के पात्रों का चरित्र विश्लेषण, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences,      ISSN(o): 2581-6241,  Volume – 8,   Issue –  4.,  Pp.49-51        Available on –   https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/

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