जी-२० और मृदुला गर्ग के उपन्यासों में नारी सशक्तिकरण
Author(s): ऋषिभा लाम्बा
Authors Affiliations:
JVR-I/२२/१००५९, हिंदी विभाग, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर (राजस्थान)
DOIs:10.2018/SS/202506004     |     Paper ID: SS202506004शोध-सारांश: ९ और १० सितंबर २०२३ को शासनाध्यक्ष स्तर पर जी-२० शिखर सम्मेलन नेताओं की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित किया गया। जी-२० यानी “ग्रुप ऑफ ट्वेंटी” अर्थात अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच। जी-२० सम्मेलन के दौरान वैश्विक, आर्थिक, एवं सामाजिक विकास के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए रखा गया। जिसके चलते प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने उद्घाटन भाषण में महिलाओं और लड़कियों को कैसे जागरूक और सशक्त बनाया जाए पर जोर दिया। इसके साथ महिलाओं के अधिकारों, समानता उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्तिकरण के नेतृत्व की नींव रखी गई। उन्होंने “वसुधैव कुटुंबकम” की अवधारणा को सशक्त करते हुए महिलाओं को राष्ट्र और समाज की धुरी बताया। मोदी जी ने कहा कि महिलाओं की समान भागीदारी के बिना वैश्विक विकास संभव नहीं है। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से आर्थिक वृद्धि में तेजी आती है और सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित होता है। जी-२० का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना, लैंगिक वेतन अंतर को कम करने, एवं महिलाओं के लिए कार्य में उनके लिए अवसर बढाने जैसी बातों पर जोर दिया गया। इसी के साथ महिला यौन उत्पीड़न, हिंसा, एवं लैगिंग भेदभाव आधारित घटनाओं को जड़ से खत्म करने की बात की गयी। वो कहते है ना – “एक शिक्षित नारी, सब पर भारी” इस कहावत से यह बात सिद्ध होती है कि अगर “एक स्त्री पढ़ती है तो उसकी सात पीढ़ियां शिक्षित हो जाती हैं”। यानी आने वाली पीढ़ियों में भी शिक्षा का बीज-रोपन हो जाता है। नारी का शिक्षित होना, उसके “उज्जवल भविष्य की नींव रखने जैसा” होता है। जी-२० सम्मेलन में “वुमन-लैड डेवलपमेंट” यानी महिला सशक्तिकरण गठबंधन की स्थापना की गई, जिसके चलते महिलाओं को नेतृत्व, शिक्षा व समाज को आगे बढाने के लिए वैश्विक स्तर पर देखा गया। महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाएं समाज में पुरुषों के बराबर अधिकार शक्ति व निर्णय लेने की क्षमता रखती है। सशक्त महिला एवं शिक्षित महिला ही जीवन में सही-गलत, स्वास्थ्य, जीवनशैली एवं करियर आदि आने वाली जीवन की चुनौतियों का स्वतंत्र रूप से सामना कर सके, इस मुकाम तक स्त्री-सशक्तिकरण को पहुंचाना है। भारत में आज भी जाति व्यवस्था, सती प्रथा, पर्दा प्रथा, पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण, बहुविवाह, एवं तालाक जैसी बुरी प्रथाएँ महिलाओं को कही ना कहीं आगे नहीं बढ़ने देती है। महिलाओं को सिर्फ घर की चार दीवारी में रह कर पुरुषों पर आधीन द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना दिया गया है।
ऋषिभा लाम्बा (2025); जी-२० और मृदुला गर्ग के उपन्यासों में नारी सशक्तिकरण, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 6., Pp.20-25. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
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