उदय भानु हंस का व्यक्तित्व विभास
Author(s): डॉ सुमन देवी
Authors Affiliations:
सहायक प्रवक्ता हिंदी, राजकीय महाविद्यालय बालसमंद
DOIs:10.2018/SS/202502002     |     Paper ID: SS202502002व्यक्तित्व शब्द अपने आप में सारगर्भित है। जिसमें व्यक्ति के जीवन के मूर्त और अमूर्त रूप घनीभूत रूप में संयुक्त रहते हैं। हिंदी साहित्य में व्यक्तित्व अंग्रेजी के 'पर्सनैलिटी' शब्द के पर्याय के रूप में प्रयुक्त होता है। व्युत्पत्तिपरक दृष्टि से पर्सनैलिटी शब्द लैटिन शब्द "परसोना" से विकसित हुआ है। प्राचीन काल में नाटक या अभिनय के लिए लगाए जाने वाले नकली चेहरों के लिए ‘परसोना’ शब्द का प्रयोग किया जाता था। परंतु शीघ्र ही इसका अर्थ व्यक्ति विशेष से संबंधित हो गया। जो कालांतर में प्रयोग के पश्चात बाह्य आकार एवं विशुद्ध अंतर्मन के लिए भी प्रयुक्त होने लगा। शोधेय साहित्यकार ‘उदयभानु हंस’ का व्यक्तित्व फलक अतिविस्तृत व बहुवर्णा है। उनके व्यक्तित्व में ओज और तेज का, मृदुता और मधुरता का, सरलता और सहजता का असाधारण समायोग है। उनका साहित्यिक जीवन सतत साधना का परिणाम है। उन्होंने संघर्ष करके स्वयं के व्यक्तित्व का निर्माण किया है। वे आकर्षक,आत्मीयतापूर्ण और सिक्त व्यक्तित्व के स्वामी हैं।
डॉ सुमन देवी(2025); उदय भानु हंस का व्यक्तित्व विभास, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences, ISSN(o): 2581-6241, Volume – 8, Issue – 2., Pp.11-15. Available on – https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/
- इनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइकोलॉजी एडिटेड बाय फिलिप लवेरनेहैरिमन, पेज 455
- फर्स्ट यूजर अमंग एनसीएनट्ज ऑफ द मास्क इट्स ओन बिकम द नेम ऑफ इनविजिबल रोल, सेम पेज 455
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- हिन्दी शब्द सागर, पृष्ठ 326
- डॉ.रामसजन पांडे उदयभानुहंस की काव्य साधना, पृष्ठ 5
- आचार्य क्षेमचद्रं सुमन विलक्षण काव्य मनीषी, पृष्ठ 30
- उदयभानुहंस रचनावली, पृष्ठ 412
- वही पृष्ठ, 391
- वही, पृष्ठ 409
- स्वकथन शोधार्थी शोधेय साक्षात्कार, 2 नवबंर 2002
- संपादक डॉक्टर सत्य देव चौधरी काव्य सरोवर का हंस, पृष्ठ 246
- वीरेंद्र मिश्र काव्य सरोवर का हंस राज हंस ध्वनि , पृष्ठ 37
- विष्णुप्रभाकर काव्य सरोवर का हंस, पृष्ठ 29
- डॉ बलबीर सिहं नरवाल उदयभानुहंस:संवेदना और शिल्प, पृष्ठ 29
- उदयभानुहंस रचनावली भाग- 1 (हिन्दी रुबाइयां) पृष्ठ 78
- उदयभानुहंस रचनावली भाग-1 (अमृत कलश) पृष्ठ 430
- प्रोफेसर इंद्रनाथ मदान, काव्य सरोवर का हंस, पृष्ठ 47
- डॉक्टर राम सजन पांडे, उदयभानुहंस की काव्य साधना, पृष्ठ 5
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