31, July 2025

अस्तित्व के लिए जीवनपर्यंत जद्दोजहद ‘पन्ना बा’ और ‘बिंदा महराज’ कहानियों में

Author(s): डॉ. रम्या राज आर

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सहायक प्राचार्या, फातिम माता नैशनल कॉलेज (स्वायत्त), कोल्लम, केरल।

DOIs:10.2018/SS/202507013     |     Paper ID: SS202507013


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शोध सारः- धरती पर हर जीव का जीने का हक है। अपनी जन्म-जात विशेषताओं से LGBTQAI+ समाज इसके लिए हमेशा लड़ता रहता है। यहाँ मानवाधिकार की समस्या सबसे सशक्त रूप में सामने आती है। थर्ड जेंडर के लोगों के प्रति मुख्यधारा का दृष्टिकोण अब भी वैसा है जैसा 74 साल के पहले था। इनकी ज़िंदगी सांस्कृतिक स्तर के हिसाब से ऊँचे स्तर का गर्व करने वाले सभ्य समाज की सांस्कृतिक गिरावटों का परिचायक है। हिंदी कथा साहित्य में थर्ड जेंडर विमर्श के अनेक आयाम देख सकते हैं। क्वीर समाज को केंद्र में रखकर लिखी गई कहानियों में प्रथम चरण की कहानी है शिवप्रसाद सिंह की कहानी ‘बिंदा महराज’। गरिमा संजय दूबे की कहानी ‘पन्ना बा’ भी ऐसी कहानी है। इन दोनों कहानियों के माध्यम से दो पात्रों के आंतरिक उलझनों एवं एकांत जीवन से गुज़रते हैं।  क्वीर समाज के प्रति मुख्यधारा के समाज के दृष्टिकोण पर चर्चा करना शोध प्रबंध का लक्ष्य है ।    
बीज शब्दः- थर्ड जेंडर, क्वीर, अस्तित्व, अस्मिता, किन्नर, हिजड़ा, साहित्य, मानवाधिकार ।

डॉ. रम्या राज आर (2025); अस्तित्व के लिए जीवनपर्यंत जद्दोजहद ‘पन्ना बा’ और ‘बिंदा महराज’
कहानियों में, Shikshan Sanshodhan : Journal of Arts, Humanities and Social Sciences,      ISSN(o): 2581-6241,  Volume – 8,   Issue –  7.,  Pp.82-85.       Available on –   https://shikshansanshodhan.researchculturesociety.org/


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